मेरे उस छुपे हुए एहसास को ,
जब तेरा साथ ना मिला !
तब भी उस मुलाक़ात का असर ,
दिल पर छाया रहा !!
मेरे ख़यालो को जब ,
तेरे ख़्वाबों का साया ना मिला !
तब भी मेरे आईने मै ,
अक्स तेरा ही दिखता रहा !!
उस रंगीन फिज़ा मै भी ,
जब तेरी बेरुखी मुझे मिली !
तब भी रुसवाई और तनहाइयों मै ,
खुद को मैं हसाता रहा !!
उस निशा मै जब मेरे होठों को ,
तेरे रुखसारों तले सुकून ना मिला !
तब भी तेरी साँसों को अपने दिल मै जगह देके ,
खुश मैं होता रहा !!
कोशिश बहुत की थी खुदको ,
उनकी रूह मैं जगह देने की !
फिर भी हमारे ख़यालो से खेलते रहे ,
वो बनाकें हमनशीं अपना !!!!
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Very nice one :)
ReplyDeletethe poem depicts ur heart
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