यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,
जब तूने भी मुझे चाहा था उस पल,
कभी-कभी गुमसुम था कभी-कभी तन्हा था मैं कुछ पल,
तभी तो तेरे आँचल में छुप जाने का मन था उस पल !!
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,............
जब तूने भी मुझे चाहा था उस पल,
कभी-कभी गुमसुम था कभी-कभी तन्हा था मैं कुछ पल,
तभी तो तेरे आँचल में छुप जाने का मन था उस पल !!
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,............
जानेजां तुझे इतनीं शिद्दत से चाहा था मैंने उस पल,
तभी तो तेरी जुल्फों में खो ज़ाने का मन था कुछ पल,
तभी तो तेरी जुल्फों में खो ज़ाने का मन था कुछ पल,
जैसे चाँद छिपता है बादल में , और नदी मिलती है सागर में,
उसी तरह में भी छिप जाता था, तेरी झील जैसी आँखों मैं कुछ पल !!
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,..........
तभी तो भीगी पलकों के साथ सोता था उस पल,
जब भी तुमने मुझे शरारती निगाहों से देखा कुछ पल,
उस पल ,
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,..........
पूनम की रात में करवटें बदलता था जब में उस पल,
सच में तेरी तस्वीर को रूह में बसा लिया था उस पल,
रात के हसीं सपनो में जब तुमसे मुलाक़ात होती थी उस पल,
तेरी यादें मेरी नींद चुरा लिया करती थी उस पल,
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,..........
जी चाहता है मेरे तनहा सफ़र मे तन्हाई बन जाओ कुछ पल,
और उस तन्हाई के साथ में जिन्दगी ज़ी लू कुछ पल,
और उस भीगी- भीगी रुत में ओस की बूँद बन जाओ कुछ पल,
और मोहब्बत इतनी हो जाये की वो ओस की बूँद भी मेरी पलकों में बस जाए कुछ पल,
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,..........
जब भी शाम ढले मेरे दिल में सो जाओ कुछ पल,
और सूरज निकलते ही मुझमें फ़ना हो जाओ कुछ पल,
उस शबनम की रौशनी में मुझे एहसास करो दो कुछ पल,
बस यही की तूने भी मुझे उसी शिद्दत से चाहा था उस पल!!!
यूँ हि मुझे भी कुछ-कुछ याद आता है वो पल,..........
अनुराग >>>>
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