वो पहला दिन ,
मेरा पहली बार रोना और माँ का हँसना ,उनकी आँखों मे अजब सी रौशनी का छलकना ,तभी उनका मेरी खिलखिलाहट की आवाज़ सुनना , मेरी नाज़ुक उँगलियों को अपने होठों से छूना ,और उनका मेरे गालों को स्पर्श करना और गोद में लेना !
वो पहला दिन ,
मेरा घुटनों के बल चलना और बार-बार गिरना ,
और उनके लाये हुए खिलोनों से खेलना और उन्हें तोडना ,
तो कभी माँ के साथ आँख मिचोली करना ,
जिसे देख माँ की आँखों में ख़ुशी के आँसू छलकना ,
और उनका मुझे अपने आँचल में लेना और उनके आँसू अपने गालों पे महसूस करना !
वो पहला दिन ,
मेरा माँ की उंगली पकड़कर चलना और उनका मुझे संभालना ,
मैं आगे-आगे और माँ का पीछे-पीछे साये की तरह होना ,
शायद उनको मेरी जीत का एहसास बार-बार दिलाना ,
उनका मुझे गोद में लेकर सहलाना और मेरा फिर दुबारा गिरना ,
वो मेरी नज़र उतारना और उनका सोते-जागते बस मेरे बारे में सोचना !
वो पहला दिन ,
माँ का मुझे हँसते-हँसते स्कूल के लिए तैयार करना और मेरे लिए प्रार्थना करना ,
मेरा स्कूल में कदम रखना और माँ का अपने रुमाल से मेरे आँसुओं को बार-बार पोंछना ,
माँ का बैग, टिफिन और चौकलेट मुझे देना और उनका पीछे मुडके बार-बार मुझे देखना ,
और स्कूल से आने के बाद उनका मुझे अपने हाथों से खाना खिलाना ,
मेरे सिर पर हाथ फेरकर सुलाना , और फिर मुझे होमवर्क कराना ,
भुलाये नहीं भूलते वो दिन ,
माँ का पीछे भाग-भाग के मुझे साइकिल सिखाना ,
मैं आगे-आगे तेज़ रफ़्तार से , और माँ का पीछे-पीछे परछाई की तरह होना ,
कुछ सालों बाद शायद उनका मेरे सिकंदर होने के एहसास से रोमांचित होना !
वो पहला दिन ,
कॉलेज का खुलना , और हमारी नजरों का आपस में टकराना ,
मेरा शायद माँ के सफ़ेद बालो को और उनकी थकान को महसूस करना ,
और माँ की जगह किसी और को दिल में जगह देना ,
मेरा रोजाना कॉलेज जाना और माँ का ब्रेकफास्ट हमेशा की तरह तैयार करना ,
उनका मोबाइल , पर्स की याद दिलाना और अपने बनाये हुए परांठे खिलाना ,
भुलाये नहीं भूलते वो दिन ,
साइकिल के पैडल की जगह बाइक की किक का लेना ,
और माँ को चरण- स्पर्श करना भूलना और "बाय " कहना शुरू करना !
वो पहला दिन ,
मेरी पहली तन्खवाह से माँ को साड़ी देना ,
और बदले में संसार की सारी दुआएं माँ का मुझे देना ,
उनके आँचल में सिर रखके उसके बारे में बात करना ,
माँ को पसंद न आने के बावजूद भी मेरी खातिर उनका हाँ कह जाना ,
भुलाये नहीं भूलते वो दिन ,
मेरा हाथ पकडके उसका मेरे घर पर कदम रखना ,
और तभी मेरा माँ के अकेलेपन और ख़ुशी , दोनों को एक साथ महसूस करना !
वो पहला दिन ,
माँ को छोड़के उसके साथ दूसरे शहर चला जाना ,
और धीरे -धीरे माँ का प्यार और वो अपनापन विस्मृत करना ,
उनका दबे होठों से हमें सहमति देना और ख़ुशी जताना ,
अपनी ख़ुशी के आगे , मेरा उनकी असली ख़ुशी को समझ नहीं पाना ,
भुलाये नहीं भूलते वो दिन ,
मेरा अतीत की यादों में खो जाना अभी ट्रेन में बैठे -बैठे ,
और सोचना इतने सालों बाद माँ से मिलना और खुद से कहना ,
कि अपना सारा प्यार माँ पर लुटाना और इस बार उनको साथ लेके ही जाना !
शायद आज समझ मै आया है ,
उनकी ख़ुशी के बदले कोई मेरी जान भी ले ले तो भी बहुत कम है ,
उनकी ख़ुशी के बदले कोई मेरा लहू भी ले ले तो भी बहुत कम है ,
उनकी ख़ुशी के बदले कोई मेरा सब कुछ भी ले ले तो भी बहुत कम है!!
<<<<Anurag G.>>>>
Awesome..........loved it..............
ReplyDeleteVery touching n true also... liked it! n keep it up :)
ReplyDeleteheart touching.. :):)
ReplyDeleteThanks a lot !!!!!
ReplyDeletesoooo intense n fab....nice one....:)
ReplyDelete0
Thanks Neetu to like it.....:)
ReplyDeleteVery touchy and beautifully written!
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