Monday, October 10, 2011

ग़ज़ल का दूसरा नाम 'जगजीत ' !!!!


हमारे  लफ़्ज़ों  में वो  बात  नहीं ,
        जो  आपकी  दिलकश  आवाज़  में  है !
फिर  भी हमारे  इन  अल्फाजों  से ,
        आपको  सलाम करने  को  जीं चाहता  है !!

वो  कागज़  की  कश्तीं  और  बारिश  का  पानी ,
        हमने  भी  महसूस  किया  था  कभी !
फिर  भी  आपको  सुनने  के  बाद  उसकी  यादों तले,
        बेखुदीं की  जिंदगी  जीने  को  जी  चाहता  है !!

मेरी  तमन्ना  भी  मचली  थी  और ,
         मौसम  भी  बदला  था  कभी !
फिर  भी  आपसे  मिलने  की  अधूरी  ख्वाहिश  को ,
         पूरा  करने  को  जी  चाहता  है !!

किसी  का  मीत  बनके  किसी  के  होठों को ,
         हमने  भी  छुआ  था  कभी !
फिर  भी  मेरे  ख़याल  पन्नों  पर  आने  लगे  हैं  ,
         अब  इनको  आवाज़  देने  को  ज़ी  चाहता  है !!

हम  कोई  गीत  नहीं , कोई  कविता  नहीं ,
        कोई  नज़्म  नहीं  और  कोई  ग़ज़ल  भी  नहीं !
फिर  भी  'Arabic  ' के  शब्दकोष  मे  ग़ज़ल  का  दूसरा  नाम  
       'जगजीत ' लिखने  को  जी  चाहता  है !!
                                                        
ये  हम  नहीं  कहते , 
        आपकी  यादें  बोला  करती  है !
फिर  भी  उन्ही  यादों  से  अब  आपको 
        श्रधांजलि देने  को  जी  चाहता  है !!!!
                                                <<<<अनुराग >>>>

4 comments:

  1. My Tribute to Gajal King... and here is end of Gazal era in india..now nobody have such a talent like Great Jagjit..

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  2. Its such a wonderful tribute by such a lovely poem!!! You have done it perfectly :)

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  3. wah wah mere sher......good one dost!!

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