हमारे लफ़्ज़ों में वो बात नहीं ,
जो आपकी दिलकश आवाज़ में है !
फिर भी हमारे इन अल्फाजों से ,
आपको सलाम करने को जीं चाहता है !!
वो कागज़ की कश्तीं और बारिश का पानी ,
हमने भी महसूस किया था कभी !
फिर भी आपको सुनने के बाद उसकी यादों तले,
बेखुदीं की जिंदगी जीने को जी चाहता है !!
मेरी तमन्ना भी मचली थी और ,
मौसम भी बदला था कभी !
फिर भी आपसे मिलने की अधूरी ख्वाहिश को ,
पूरा करने को जी चाहता है !!
किसी का मीत बनके किसी के होठों को ,
हमने भी छुआ था कभी !
फिर भी मेरे ख़याल पन्नों पर आने लगे हैं ,
अब इनको आवाज़ देने को ज़ी चाहता है !!
हम कोई गीत नहीं , कोई कविता नहीं ,
कोई नज़्म नहीं और कोई ग़ज़ल भी नहीं !
फिर भी 'Arabic ' के शब्दकोष मे ग़ज़ल का दूसरा नाम
'जगजीत ' लिखने को जी चाहता है !!
ये हम नहीं कहते ,
आपकी यादें बोला करती है !
फिर भी उन्ही यादों से अब आपको
श्रधांजलि देने को जी चाहता है !!!!
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