अँधेरे में जिंदगी को जीने की जो ख्वाहिश थी,
उस ख्वाहिश के लिए किसी सहारे की जरुरत थी.
वो तुम ही हो एंजिल ( Angel ) जिसने मेरी ख्वाहिश को जिन्दा रखा,
वरना ख्वाहिश तो क्या , सिर्फ तन्हाइयों से मुलाक़ात होती!
BTW खुशकिस्मत हूँ मैं, जिसे तन्हाइयों में भी सुकून मिला,
वो भी आपकी मेहरबानी थी , जिसे प्यार करने का जूनून मिला.
वरना हजारों सायें और भी थे आपके अक्स के पीछे,
लेकिन जब अँधेरे से उजाले में आकर देखा तो जाना कि,
तुम्हारे अक्स के आगे मेरे अलावा कोई और ना था!! <<<<अनुराग >>>>
तुम्हारे अक्स के आगे मेरे अलावा कोई और ना था!! <<<<अनुराग >>>>